धनिया एक बहुमूल्य बहुउपयोगी मसाले वाली आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी है। धनिया बीज में बहुत अधिक औषधीय गुण होने के कारण कुलिनरी के रूप में, कार्मिनेटीव और डायरेटिक के रूप में उपयोग में आते है इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल होते हैं जो इसको पावरफुट बनाते हैं. इसके अलावा हरे धनिया में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थियामीन, पोटोशियम और विटामिन सी भी पाया जाता हैं.
धनिया के बीज एवं पत्तियां भोजन को सुगंधित एवं स्वादिष्ट बनाने के काम आते है। धनिया बीज में बहुत अधिक औषधीय गुण होने के कारण कुलिनरी के रूप में, कार्मिनेटीव और डायरेटिक के रूप में उपयोग में आते है । धनिया अम्बेली फेरी या गाजर कुल का एक वर्षीय मसाला फसल है । इसका हरा धनिया सिलेन्ट्रो या चाइनीज पर्सले कहलाता है ।
इस पोस्ट में हमने 13 प्रमुख धनिया के फायदे के ओर 3 नुकसान के बारे में विस्तार से समझाया है
धनिया खाने के फायदे Dhaniya ke Fayde
धनिया एक बहुमूल्य बहुउपयोगी मसाले वाली आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी है। धनिया के बीज एवं पत्तियां भोजन को सुगंधित एवं स्वादिष्ट बनाने के काम आते है। धनिया बीज में बहुत अधिक औषधीय गुण होने के कारण कुलिनरी के रूप में, कार्मिनेटीव और डायरेटिक के रूप में उपयोग में आते है भारत धनिया का प्रमुख निर्यातक देश है । धनिया के निर्यात से विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है ।
1. धनिया शरबत- धनिए का शरबत काफ़ी लाभप्रद तथा स्वादिष्ट होता है। इसे धनिए के बीजों से तैयार किया जाता है तथा इसका सेवन पाचन संबंधी समस्याओं, इरिटेबल बावेल सिंड्रोम, त्वचा से जुड़ी समस्याओं आदि के उपचार के लिए किया जाता है।
टिप्स: एक या दो चम्मच धनिए के बीज रातभर के लिए एक गिलास पानी में भीगो कर रख दें। धनिए के बीजों को उसी पानी में मसल लें। दिन में दो बार इस शरबत के 4-6 चम्मच पिएं।
2.धनिए की ताजा पत्तियों का पेस्ट- धनिए के पेस्ट का इस्तेमाल बाह्य प्रयोग किया जाता है, जैसे कि मुहांसों, त्वचा के संक्रमण आदि का उपचार करने के लिए।
टिप्स: धनिए की ताजा पत्तियां लें तथा उन्हें पीसकर मुलायम पेस्ट बना लें। इसमें शहद, दूध ,गुलाब जल आदि अच्छी तरह से मिला लें। इसे प्रभावित भाग पर 10-15 मिनटों के लिए लगाएं और इस प्रक्रिया को प्रत्येक सप्ताह दोहराएं। ऐसा करने से बेहतर परिणाम मिलेंगे। धनिए के पेस्ट का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए सीधे जोड़ों की मालिश के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं।
3.भूख को जगाना या जाग्रत करना- धनिया फ्लेवोनायड के रूप में समृद्ध होता है तथा भूख को जगाने का काम करता है। धनिए में लिनालूल तत्व मौजूद पाए जाते हैं जो तंत्रिका संचारी गतिविधि तथा भोजन की खपत में वृद्धि कर भूख को बढ़ाने में योग देते हैं।
5.मांसपेशियों की ऐंठन के उपचार में मदद- धनिए के वातहर तथा एंटीस्पाजमोडिक गुण मांसपेशियों की ऐंठन या पेशी आकुंचन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा धनिए के सेवन से अपच के कारण उत्पन्न जठरीय गतिविधि तथा दर्द से राहत भी मिलती है।
6.कृमि संक्रमण से राहत- धनिए में कृमिनाशक गुण मौजूद पाए जाते हैं जो कृमि के अंडों की उत्पत्ति को रोककर कृमियों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
7.जोड़ों के दर्द का उपचार- धनिए का पेस्ट बनाकर प्रभावित या दर्द वाले भाग पर लगाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। धनिए में सिनिऑल तथा लिनोलिक एसिड समृद्ध मात्रा में निहित होता है और इसी कारण यह एंटीरूहेमैटिक, एंटीआथ्राइटिक गतिविधि दर्शाता है व इसमें एंटीइंफ्लेमेट्री गुण मौजूद पाए जाते हैं। इसके ये सभी गुण संयुक्त रूप से जोड़ों के दर्द तथा सूजन में आराम देते हैं।
8.आंखों की रोशनी- आयुर्वेद- आंखों की खराब या कमजोर रोशनी का कारण शरीर में पित्त की गड़बड़ी होती है। धनिए की ताजा पत्तियों का जूस पित्त की गड़बड़ी को ठीक करके आंखों की रोशनी को बढ़ाता है।
धनिए के जूस के सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती है और आंखें स्वस्थ व नीरोग बनी रहती हैं।
9.पाचन संबंधित समस्याएं- आयुर्वेद- धनिए में पाचन व दीपन गुणों के अतिरिक्त यह उष्ण या गरम प्रकृति का भी होता है और इसी कारण यह पाचन संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए उत्तम माना जाता है। धनिए का सेवन पाचन में सुधार लाता है तथा भूख को बढ़ाता है। पाचन संबंधित समस्याओं, जैसे मतली, एसिडिटी, डायरिया आदि के उपचार के लिए धनिए के क्वाथ का छाछ के साथ दिन में दो बार सेवन करना चाहिए।
जले हुए या जख्म पर इसका पेस्ट लगाने से संक्रमण से बचाव होता है।
10.कब्ज- आयुर्वेद के अनुसार धनिया कब्ज का उपचार नहीं करता है। धनिए में ग्राही या अवशोषण संबंधित गुण मौजूद होते हैं जो डायरिया तथा कमजोर पाचन के उपचार में मदद कर सकते हैं। अतः धनिया कब्ज का निवारण नहीं करता है। पाचन में सुधार हेतु खाना खाने के बाद धनिए के पाउडर का सेवन शहद में करना चाहिए। इसका उपयोग पाचन संबंधी समस्याओं व पेट की गड़बड़ी,जैसे कि आंतों के रोग,अपच,अफारे आदि के उपचार हेतु किया जाता है।
11.गले से संबंधित समस्याएं- आयुर्वेद- प्रदाह तथा खांसी का कारण मुख्यतः शरीर में उत्पन्न कफ दोष की गड़बड़ी बनती है। श्लेष्मा बनती है तथा श्वसन मार्ग में मल जमा हो जाता है और इसी कारण श्वसन मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। उष्ण तथा कफ निवारक गुण श्वसन मार्ग की रुकावट को दूर करते हैं और तथा श्लेष्मा के जमाव से छुटकारा दिलाते हैं। धनिए में उपस्थित एंटीइंफ्लेमेट्री गुणों के कारण इसका उपयोग गले की गड़बड़ी को ठीक करने के लिए पारंपरिक रूप से किया जाता है।
12.थायराइड- हमारे शरीर में उत्पन्न वात तथा कफ की गड़बड़ी ही थायराइड का कारण बनती है। यह एक हार्मोन संबंधी असंतुलन है। धनिए का वात एवं कफ निवारक गुण थायराइड के हार्मोन की उत्पत्ति को नियंत्रित करके थायराइड की समस्या का निवारण करता है। भोजन के उपरांत धनिए के पाउडर को शहद में मिलाकर खाना फायदेमंद रहता है। धनिए के पानी के सेवन से थायराइड के उपचार में मदद मिलती है। इसमें मौजूद विटामिन बी1,बी2 व बी3 काफ़ी फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा इसमें निहित खनिज भी थायराइड से अच्छी राहत प्रदान करते हैं। धनिए के पानी का प्रतिदिन खाली पेट सेवन करने से अच्छा लाभ मिलता है।
13.नाक से संबंधित समस्याएं– कफ की गड़बड़ी के कारण नासिक्य मार्ग में श्लेष्मा बनती है। धनिए की उष्ण तथा कफ निस्सारक प्रकृति नाक की समस्याओं से छुटकारा दिलाती है। इसके अलावा इसके ग्राही, कसाय या पित्त निवारक गुण नाक से होने वाले रक्त स्राव को नियंत्रित करते हैं और मल या श्लेष्मा को पिघलाते हैं।
धनिया प्राकृतिक रक्त स्तंभक यंत्र होता है और इसी कारण नाक के प्रभावित भाग पर इसके रस का इस्तेमाल करने से जलन व सूजन में आराम मिलता है। धनिया नाक के दर्द तथा क्षोभ को कम कर सकता है। धनिया नाक से होने वाले रक्त स्राव का उपचार भी कर सकता है।
यह भी पढ़े-Hari Mirch Khane ke Fayde Aur Nuksan
यह भी पढ़े-Adrak khane ke Fayde aur Nuksan in hindi
धनिये के नुकसान
जहां धनिए में अनेक प्रकार के अनूठे औषधीय गुण मौजूद पाए जाते हैं, वहीं इसके कुछ दुष्प्रभाव भी देखे जाते हैं। इसके दुष्प्रभाव ज्यादातर इसके अधिक मात्रा में सेवन के कारण ह्रदय से जुड़ी समस्याओं से ग्रस्त लोगों, गर्भवती महिलाओं, मधुमेह रोगियों, स्तनपान कराने वाली महिलाओं में देखने को मिलते हैं। अतः विज्ञान तथा आयुर्वेद दोनों के विशेषज्ञ धनिए के उपयोग से पूर्व चिकित्सक के परामर्श लेने की सलाह देते हैं। इसके अतिरिक्त त्वचा पर धनिए का अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से त्वचा की संवेदनशीलता, प्रदाह या त्वचा के काला पड़ने जैसी समस्याएं आड़े आ सकती है।
श्वास संबंधित समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए
धनिए के उपभोग से पूर्व चिकित्सक का परामर्श अवश्य लेना चाहिए, क्योंकि धनिए की पत्तियां शीत या ठंडी प्रकृति की होती है।
मधुमेह के रोगियों के लिए
धनिया लगातार निम्न रक्त शर्करा स्तर का कारण बनता है। अतः यदि आप मधुमेह की दवाइयों के साथ-साथ धनिए का सेवन भी कर रहे हैं तो अपने रक्त शर्करा के स्तर की नियमित जांच कराते रहें।
ह्रदय रोगियों के लिए
धनिया निम्न रक्तचाप का कारण बनता है और इसीलिए यदि आप उच्च रक्तचाप की दवाइयां खाने के साथ-साथ धनिए का भी सेवन कर रहे हैं तो अपने रक्तचाप की नियमित जांच कराते रहें।
दोस्तों हमने इस पोस्ट में आपको Dhaniya Khane Ke Fayde के बारे में जानकारी दे दी है हमें उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट हेल्पफुल साबित होगी